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Showing posts from 2017
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मिनीमाता .......... नाम - मीनाक्षी ( मिनीमाता ) पिता का नाम - महंत बुढ़ारी दस  माता का नाम - देवमती बाई जन्म तिथि - १५ मार्च १९१३ पति का नाम - गुरु गोसाई अगम दस , संसद एवं स्वत्रन्त्रता सेनानी | राजनीती - सन 1953 में उपचुनाव में सांसद बनी | सन १९५७ में दूसरी बार सांसद बनी | सन 1962 में लोकसभा में तीसरी बार सांसद बनी | सन १९६७ में लोकसभा में चौथी बार सांसद बनी | कार्य - सन १९५५ में छुआछूत निवारण कानून पास कराया हसदो महानदी परियोजना १९६७ - ७६  भिलाई इस्पात सयंत्र स्थापना १९६१ छत्तीसगढ़ मजदूर संघ की स्थापना १९६७  दहेज़ निवारण कानून १९६१ छत्तीसगढ़ कल्याण समिति गठन  छत्तीसगढ़ कल्याण महाविद्यालय भिलाई मिनीमाता बोंगो बांध निर्माण प्रस्ताव पूर्ण १९८१ बालको एल्युमीनियम प्लांट बैलाडीला कोरबा बचेली किरंदुल के विस्तार हेतु प्रस्ताव मृत्यु - विमान दुर्घटना ११ अगस्त १९७२ मिनीमाता का जन्म सन्  1913  में असम के नुवागांव जिले के ग्राम जमुनामुख में हुआ था । आपकी माता का नाम मतीबाई था । आपका परिवार मूलतः बिलासपुर जिला निवासी था ।  1901 से 1910  के बीच छत्तीस...
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राजिम निवासी पंडित सुन्दरलाल शर्मा की जीवनी ...................             पंडित सुंदरलाल शर्मा (२१ दिसम्बर १८८१ - १९४०), छत्तीसगढ़ में जन जागरण तथा सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे। वे कवि, सामाजिक कार्यकर्ता, समाजसेवक, इतिहासकार, स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी तथा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्हें 'छत्तीसगढ़ का गांधी' कहा जाता है। उनके सम्मान में उनके नाम पर पण्डित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ की स्थापना की गई है। राजिम के पास एक गांव है जिसका नाम है चमसुर। उसी चमसुर गांव में पं. सुन्दरलाल शर्मा का जन्म हुआ था। उनका जन्म विक्रम संवत  1938  की पौष कृष्ण अमावस्या अर्थात्  1881  ई० को हुआ था। इनके पिता थे पं. जयलाल तिवारी जो कांकेर रियासत में विधि सलाहकार थे, उनकी मां थीं देवमती देवी। पं. जयलाल तिवारी बहुत ज्ञानी एंव सज्जन व्यक्ति थे। कांकेर राजा ने उन्हें  18  गांव प्रदान किये थे। पं. जयलाल तिवारी बहुत अच्छे कवि थे और संगीत में उनकी गहरी रुचि थी। पं. सुन...
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छत्तीसगढ़ के महान संत/कवि श्री श्री 108 पवन दीवान जी की संक्षिप्त जीवनी             संत कवि पवन दीवान का जन्म जनवरी 1945 को राजिम के पास ग्राम किरवई में हुआ था. छत्तीसगढ़ी भाषा में भागवत कथा के वाचन के लिए वे प्रसिद्ध थे  ! .उनके पिता सुखरामधर दीवान शिक्षक थे. भागवतचार्य के साथ पवन दीवान छत्तीसगढ़ी औंर हिन्दी के अँचल के सर्वाधिक चर्चित कवि रहे है. उनकी कविताओ में लोगों को हंसाते-हंसाते बहुत कुछ सिखा जाती थी. एक कविता का अंश राख राखत भर ले राख ... तहं ले आखिरी में राख.. राखबे ते राख..... अतेक राखे के कोसिस करिन..... नि राखे सकिन...... तेके दिन ले.... राखबे ते राख..... नइ राखस ते झन राख.... आखिर में होना च हे राख.... तहूँ होबे राख महूँ हों हूँ राख.... सब हो ही राख... सुरु से आखिरी तक..... सब हे राख..... ऐखरे सेती शंकर भगवान...... चुपर ले हे राख.......             इस प्रकार से पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिये कुशलतापूर्वक जन आंदोलन का भी पवन दीवान नेतृत्व किया था. अध्ययनकाल में ही पवन दीवान का कवि हृदय दीन दलितों की ...

नवापारा राजिम (रायपुर क्षेत्र) के स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जगमोहन सिंह की जीवनी -----------------

  ठाकुर जगमोहन सिंह का संक्षिप्त जीवन परिचय एवं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान           ठाकुर जगमोहन सिंह पिता जयराम सिंह का जन्म ग्राम जौंदा पोस्ट पोड- **चंपारण** तहसील अभनपुर जिला रायपुर छ०ग० के मालगुजार परिवार में हुआ था A  इनके परिवार में चार भाई एक बहन थी ! इसके बडे- भाई ठाकुर मुन्ना लाल सिंह छ०ग० राजपूत समाज रहटादाह १२८२ के संस्थापक रहे ! जिन्होंने बैश्य परिवार को संस्थापित किया ! चारो भाई मूलरूप से जौंदा में आबाद रहे ! ठाकुर जगमोहन सिंह के परदादा ठाकुर केसरी सिंह बैस बाड़ा क्षेत्र के ग्राम दौडीयाखेडा **कल्याणपुर** जिला उन्नव उत्तर प्रदेश से आये थे ! इनके परिवार में राजाराव राम बक्स सिंह अंतिम शासक हुए ! जिन्हें अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह करने एवं सन १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण गंगा किनारे बक्सर में झाड़ के उपर अंग्रेजो के द्वारा फांसी में लटका दिए गये ! जिसका आज भी उसका स्मारक बक्सर में विद्यमान है ! उसके नाम पर आज भी २४ दिसंबर को प्रतिवर्ष बलिदान दिवस के रूप में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है !...