छत्तीसगढ़ के महान संत/कवि श्री श्री 108 पवन दीवान जी की संक्षिप्त जीवनी
संत कवि पवन दीवान का जन्म जनवरी 1945 को राजिम के पास ग्राम किरवई में हुआ था. छत्तीसगढ़ी भाषा में भागवत कथा के वाचन के लिए वे प्रसिद्ध थे ! .उनके पिता सुखरामधर दीवान शिक्षक थे. भागवतचार्य के साथ पवन दीवान छत्तीसगढ़ी औंर हिन्दी के अँचल के सर्वाधिक चर्चित कवि रहे है. उनकी कविताओ में लोगों को हंसाते-हंसाते बहुत कुछ सिखा जाती थी. एक कविता का अंश
राखराखत भर ले राख ...
तहं ले आखिरी में राख..
राखबे ते राख.....
अतेक राखे के कोसिस करिन.....
नि राखे सकिन......
तेके दिन ले....
राखबे ते राख.....
नइ राखस ते झन राख....
आखिर में होना च हे राख....
तहूँ होबे राख महूँ हों हूँ राख....
सब हो ही राख...
सुरु से आखिरी तक.....
सब हे राख.....
ऐखरे सेती शंकर भगवान......
चुपर ले हे राख.......
इस प्रकार से पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिये कुशलतापूर्वक जन आंदोलन का भी पवन दीवान नेतृत्व किया था. अध्ययनकाल में ही पवन दीवान का कवि हृदय दीन दलितों की पीड़ा से व्यथित होता था, इसीलिए आप में वैराग्य की भावना बलबती होती गई. अंतत: आपने स्वामी भजनानंद जी महाराज से दीक्षा लेकर स्वामी अमृतानंद बन गये ! दीवान जी फुटबाल और बालीबाल के उत्कृष्ट खिलाड़ी भी थे. इसके बाद भी आप राजनीति भी आएं. राजनीति की शुरुआत उन्होंने जनता पार्टी से की थी, लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हुए और लंबे समय तक कांग्रेस के साथ रहे फिर भाजपा के साथ आ गए.
- 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर राजिम से विधायक चुने गए.
- अविभाजाति मध्यप्रदेश में जनता पार्टी की सरकार में जेल मंत्री रहे.
- 1977 में जनता लहर के बीच पवन दीवान को छत्तीसगढ़ के गांधी की उपाधि दी गई थी.
- 1991 और 1996 में कांग्रेस पार्टी से महासमुंद लोकसभा से दो बार सांसद रहें.
- डॉ. रमन सरकार में छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष भी रहें.
संत पवन दीवान जी की मृत्यु ...............
मार्च 2016 संत पवन दीवान जी को ब्रेन हेमरेज होने का कारण कोमा में चले गये थे ! उनको ईलाज हेतु गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिनका ईलाज के दौरान दिनांक 02/02/2016 निधन हो गया !
इस प्रकार से संत श्री पवन दीवान जी बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे ! जिन्होंने सभी क्षेत्रो मे अपनी महवपूर्ण भूमिका अदा निभाई ...............
मार्च 2016 संत पवन दीवान जी को ब्रेन हेमरेज होने का कारण कोमा में चले गये थे ! उनको ईलाज हेतु गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिनका ईलाज के दौरान दिनांक 02/02/2016 निधन हो गया !
इस प्रकार से संत श्री पवन दीवान जी बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे ! जिन्होंने सभी क्षेत्रो मे अपनी महवपूर्ण भूमिका अदा निभाई ...............
Dil chhu liya bhai...
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteक्या baat h 🎍✨🎌
ReplyDeleteऐसे महापुरुष को कोटि कोटि प्रणाम
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